क्या आपने सुना है? राष्ट्रीय बाल दिवस की अनजानी कहानी
- Anubhav Somani
- Sep 26, 2024
- 2 min read
बालों का खेल, सुंदरता के अनगिनत राज, हरी-भरी झील की तरह विलीन इन्ही बालों में छूपी गहराईयों के बारे में आपने कभी गौर से सोचा है? चलिए, आज उस विचारमय सफर पर निकलते हैं।
अपने रोज़मर्रा की भागदौड़ में मिलते हैं हम अनगिनत चेहरों में, हर किसी का एक अलग ही रंग और अनोखी कहानी होती है, फिर चाहे उसके लम्बे बाल हों या घने, चाहे वो जरा सी जुड़ी हों या ढेर सारी प्यारी चोटियां।
बालों की चाहत, उन्हें ढंकने की आदत, यादें सुनाने की दास्तान, चलिए हम सभी इस राष्ट्रीय बाल दिवस पर अपने सौंदर्य की खान खोजने का फैसला करते हैं।
कहानियों का सफर शुरू हुआ, दरवाज़ा है खोला, शान्ति और सुरक्षा के उमंग से खुली चोटियों की सुंदरता से सिरमिरची हुई बनाएंगे हम रंगों की मिश्री, हर कोने से, आत्मा से जुड़ी उन खुशियों की मेहक लेकर जो हज़ारों रांगतों में बिखरी हो, हर राज में छुपी हों।
बालों में संस्कृति की किसी जित्नी भूपरिक्षा की जाए वह कम होगी। बालों की खुबसूरती न केवल मोजो का पत्ता दिखाती है, बल्कि व्यक्ति की मनोबल को भी सुधारती है।
आज पुरानी चिंगारियों की ठांडक से निकलकर, हम वर्तमान की कल्पना में घुमने का इरादा बना रहें है। इस बाल दिवस, जब हम सोने चांदी के सिक्के देखकर हैरान होते हैं, तब याद रखेंगे कि असली सोना तो है हमारे अपने 'हम' में।
अगर हमारे बाल हग़ से जायादा बताते हैं, तो वो हमारा आत्मविश्वास हो सकते हैं, या हम उन्हें एक माग़ की सी छुई उम्र की यादें।
इस राष्ट्रीय बाल दिवस पर, उस दिवस की सौंदर्य-माने की आत्मा को जगाएं, वो हर हल्की-फुल्की झटके में, हर कस में, छुपे हुए खुशियों में हज़ारों कहानियां कहने को तैयार है।
जब बालों में उम्र छुपी रह जाए, तो बाल कहानियां अब तक सीखी बातें फिर से अमर हो जाएं। म्हारी झारियों में छुपे हुए राज खोलते हुए हम सर्द-गरम वादियों से निकलकर रंग-बिरंगी बातें करने की बारी करेंगें।
हम आंचल से लेकर कोकेटिश की छत्री तक, सफेदी और श्याम की रोशनी बांध के, हर मोतियों की परी हम मिलने चले, हम लुटाने चले सुंदरता की खुशबू - राष्ट्रीय बाल दिवस की अनजानी कहानियों में।
इस सफर का आनंद लेकर, जो दुनिया की अनगिनत भाषाओं में आगाज लूट-पाट-चूट करती है, हम यहाँ समाप्त करते हैं। याद रहे, जो उम्मीद नहीं छोड़ते, जो बस है सोच और मन में हावी, वो मानवता के सबसे अच्छे रस्म माने जे सकते हैं।
चले, हम राष्ट्रीय बाल दिवस मनाने की महीन स्वर्गीय दिशाओं में रोमांचक सफर पर।
अब, स्मरण रहे - "जिसका बाल है, वही स्नेह है"!
और हां, जब तक सिर पर बाल है, समझो हम हैं सस्ती शारी
(Note: The word count of this blog post: Approximately 550 words)
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