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भारत 2025 की समसामयिक झलक: अर्थव्यवस्था, कूटनीति, शिक्षा, विज्ञान, पर्यावरण और शासन में संतुलित प्रगति

  • Anubhav Somani
  • Aug 26
  • 5 min read

शीर्षक: भारत 2025 की समसामयिक झलक: अर्थव्यवस्था, कूटनीति, शिक्षा, विज्ञान, पर्यावरण और शासन में संतुलित प्रगति

भारत 2025 में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ देश की आर्थिक रफ्तार, कूटनीतिक सक्रियता, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा-सुधार, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता एक साथ मिलकर एक स्थिर और समावेशी विकास कहानी लिख रही हैं, जिसे रोज पढ़ने वाले UPSC अभ्यर्थियों के लिए सरल, साफ और सुसंगत तरीके से समझना उपयोगी होगा; अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताज़ा आकलन रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था 2025 के कैलेंडर वर्ष में लगभग 6.7 प्रतिशत और 2026 में करीब 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो यह दिखाता है कि घरेलू मांग, सार्वजनिक निवेश और लगातार सुधारों ने विकास को टिकाऊ आधार दिया है, और यही वजह है कि भारत को सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा है, जबकि कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ 2025-26 के लिए 6.3 से 6.5 प्रतिशत के दायरे में अलग-अलग अनुमान भी रखती हैं, जो समष्टि प्रवृत्तियों के प्रति संतुलित दृष्टि का संकेत देता है; UPSC अध्ययन के दैनिक संदर्भ में यह समझना जरूरी है कि वृद्धि के ये अनुमान सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि नीति प्राथमिकताओं—जैसे अवसंरचना निवेश, विनिर्माण प्रोत्साहन, सेवाक्षेत्र विस्तार और वित्तीय अनुशासन—के प्रभाव का सार हैं, जो राजस्व-संतुलन और मुद्रास्फीति-नियंत्रण के साथ रोजगार-सृजन के मुद्दे पर भी नज़र रखते हैं, ताकि अभ्यर्थी नीति, अर्थशास्त्र और शासन के अंतर्संबंधों को सुचारु रूप से जोड़ सकें और उत्तरलेखन में सुसंगत तर्क प्रस्तुत कर सकें । आर्थिक परिदृश्य के साथ-साथ कूटनीतिक मंच पर भी भारत की सक्रियता परिलक्षित है—ब्रिक्स व्यवस्था में भारत की भूमिका और अध्यक्षता के संदर्भ में हाल के वक्तव्यों ने ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता देने, आतंकवाद-रोधी सहयोग और विकास-सहयोग को नए अर्थ देने की वकालत की है, जिससे बहुपक्षवाद को व्यावहारिक परिणामों से जोड़ा जा सके, और भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स के नवाचार, स्थिरता और लचीलापन जैसे मूल्यों पर बल दिया जा रहा है; यह परिदृश्य UPSC के अंतरराष्ट्रीय संबंध खंड में प्रत्यक्ष उपयोगी है क्योंकि इससे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, विकास-वित्त, आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण और डिजिटल-सहयोग जैसे विषयों पर विश्लेषणात्मक दृष्टि विकसित होती है; साथ ही, मीडिया कवरेज में यह भी सामने आया है कि ब्रिक्स का अगला शिखर सम्मेलन भारत में होने की तैयारियों को लेकर चर्चाएँ तेज़ हैं, जो शिखर कूटनीति, व्यापार, वित्त और तकनीकी गठबन्धनों के नए सूत्र खोल सकती हैं, और इस तरह दायित्वों तथा अवसरों का समन्वय नीति-निर्माण के लिए केस स्टडी रूप में काम आता है । दैनिक करेंट अफेयर्स के संदर्भ में यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व की एशिया-प्रशांत में उच्चस्तरीय यात्राएँ और बहुपक्षीय बैठकों में भागीदारी—जैसे जापान एवं क्षेत्रीय साझेदारों के साथ शिखर-स्तरीय संवाद—आर्थिक सुरक्षा, तकनीक साझेदारी, सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी और आपूर्ति शृंखला लचीलापन जैसे आयामों पर फोकस कर रही हैं; साथ ही घरेलू मोर्चे पर सेमीकॉन इंडिया जैसे आयोजन, सौर ऊर्जा की नई परियोजनाएँ, और टेक्सटाइल-टेक सम्मेलनों की शृंखला यह दिखाती है कि औद्योगिक नीति, हरित संक्रमण और कौशल-मूलक रोजगार एकीकृत रूप में आगे बढ़ रहे हैं—ये सभी बिंदु दैनिक उत्तरलेखन एवं निबंध में आधुनिक भारत के उत्पादन-आधार के परिवर्तन और हरित-प्रौद्योगिकी के अवसरों को तर्कसंगत ढंग से जोड़ने में सहायक बनते हैं । UPSC प्रिलिम्स फैक्ट्स के दृष्टिकोण से डोमेस्टिक और ग्लोबल दोनों मुद्दों पर दैनिक अपडेट रखना जरूरी है—जैसे निकोबार और सुंदरबन जैसे इको-संवेदनशील क्षेत्रों में परियोजनाएँ, जैव विविधता आरक्षित क्षेत्र, मानवीय संकटों पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणाएँ, प्रसारण-विकास संस्थानों की गतिविधियाँ—ये सारे विषय विषयांतर से बचते हुए पर्यावरण, प्रशासनिक नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कामकाज की समेकित समझ बनाते हैं, और इस तरह तथ्य-संग्रह तथा थीम-आधारित रिवीजन दोनों को सरल करते हैं; संस्थागत प्लेटफ़ॉर्म जो प्रतिदिन के प्रिलिम्स फैक्ट्स और संपादकीय विश्लेषण को व्यवस्थित करते हैं, वे अभ्यर्थियों को स्रोत-सत्यापित बिंदुवार अध्ययन में मदद देते हैं, जिससे ओवरलोड से बचते हुए लक्षित पुनरावृत्ति संभव हो पाती है । सामाजिक क्षेत्र में, सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार और लक्षित DBT ढांचा गरीब और संवेदनशील वर्गों तक सेवाएँ पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है—यहाँ परिप्रेक्ष्य यह समझना है कि स्वास्थ्य-सुरक्षा, पेंशन, दुर्घटना और जीवन बीमा जैसी योजनाओं का समेकित प्रभाव श्रम-बाज़ार की औपचारिकता, वित्तीय समावेशन और उत्पादकता पर पड़ता है, जो दीर्घकाल में मानव पूँजी निर्माण का आधार बनता है; UPSC के लिए यह इसलिए प्रासंगिक है कि अभ्यर्थी कल्याणकारी राज्य, समावेशी विकास और राजकोषीय प्राथमिकताओं के बीच संतुलन पर विमर्श में नीतिगत सुझाव दे सकें, साथ ही योजनाओं के परिणाम-सूचकांकों और सेवा-डिलीवरी सुधारों का आकलन कर सकें । शिक्षा-क्षेत्र में सुधारों का फोकस कौशल-आधारित शिक्षा, डिजिटल-फ़र्स्ट अधिगम, बहु-विषयक उच्च शिक्षा और मातृभाषा में शिक्षा पर बना है, जिससे शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया में समावेशिता और प्रासंगिकता दोनों बढ़ती हैं; UPSC हेतु यह महत्वपूर्ण है कि अभ्यर्थी स्कूली और उच्च शिक्षा सुधारों को कौशल, रोजगार और नवाचार-आर्थिक ताने-बाने से जोड़कर देख सकें, ताकि दीर्घकालीन जनसांख्यिकीय लाभांश का यथोचित दोहन हो; साथ ही, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, एआई-आधारित शिक्षा-सहयोग, और ओपन-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म का विस्तार परीक्षा-उन्मुख दृष्टि से भी लाभकारी है क्योंकि यह ब्रिजिंग-लर्निंग-लॉस और कंटेंट-एसेसिबिलिटी जैसे लक्ष्यों को साधने में मदद करता है । विज्ञान और प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय स्तर के आयोजन, थीमैटिक दिवस और मिशन—जैसे सेमीकंडक्टर, क्वांटम, सुपरकंप्यूटिंग और स्पेस-सहयोग—आत्मनिर्भर टेक-इकोसिस्टम को गति देने के साथ वैश्विक साझेदारियों को भी गहरा कर रहे हैं, जो नवाचार, पेटेंट फाइलिंग और तकनीकी हस्तांतरण के माध्यम से उद्योग-शिक्षा-शोध त्रिकोण को सुदृढ़ करते हैं; UPSC में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के खंड में इन विषयों की अवधारणात्मक समझ के साथ नीतिगत ढाँचों—जैसे PLI, R&D प्रोत्साहन, स्टार्टअप इकोसिस्टम—का मूल्यांकन करने से उत्तर अधिक सुसंगत बनते हैं । पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन में भारत का रुख जलवायु न्याय, जीवन-शैली-आधारित समाधान और हरित ऊर्जा संक्रमण पर आधारित है—स्थानीय जैव-विविधता संरक्षण, तटीय और वन-परिदृश्यों में पुनर्स्थापना, और नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार से विकास-पर्यावरण संतुलन स्थापित करने की कोशिश है; UPSC के लिए यहाँ मुख्य सीख यह है कि पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को शून्य-योग खेल के रूप में नहीं, बल्कि सह-लाभों की रणनीति के रूप में देखना चाहिए, जहाँ ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ वायु, हरित नौकरियाँ और तकनीकी नवाचार एक-दूसरे को मजबूत करते हैं । आंतरिक सुरक्षा और रक्षा-सुधार के क्षेत्र में समेकित कमान, स्वदेशी प्रौद्योगिकियाँ, और उभरती तकनीकों का समावेशन—जैसे एआई, रोबोटिक्स और साइबर—एक आधुनिक और त्वरित-प्रतिक्रिया क्षमता तैयार कर रहे हैं; UPSC के लिए यह ज़रूरी है कि रक्षा-उद्योगीकरण, निजी भागीदारी, मेक-इन-इंडिया रक्षा प्लेटफ़ॉर्म, और निर्यात-वृद्धि को व्यापक रणनीतिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में समझा जाए, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक नीति के सह-विकास का खाका स्पष्ट हो । खेल और संस्कृति के क्षेत्र में उपलब्धियाँ, और विज्ञान-तकनीक, शासन-सुधार तथा सहकारी संघवाद के उदाहरण—जैसे राज्यों में न्यायिक-प्रशासनिक नवाचार, शिक्षा-सुधार, दंड-संहिता और पुलिसिंग में सुधारात्मक पहल—UPSC की जनरल स्टडीज और निबंध दोनों के लिए केस-स्टडी सामग्री प्रदान करते हैं, जिससे एविडेंस-आधारित लेखन की क्षमता विकसित होती है; साथ ही, दैनिक समाचारों में उभरते विषय—जैसे आपदा प्रबंधन, मानसून-परिवर्तन, शहरी बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य-तैयारी और कृषि-लचीलेपन—सिलेबस के विविध खंडों को जोड़ने का अवसर देते हैं । अंततः, UPSC के रोज़ाना अध्ययन हेतु सरल रणनीति यही है कि प्रामाणिक दैनिक संक्षेपों के साथ 8–10 सुगठित थीम—अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा, विज्ञान-तकनीक, पर्यावरण, सामाजिक नीति, शिक्षा, प्रशासनिक सुधार, संघीय वित्त, और वैश्विक विकास—पर नोट्स बनाए जाएँ; हर थीम के 5–6 अद्यतन तथ्य, 2–3 डेटा-पॉइंट, 1–2 केस-स्टडी और एक संक्षिप्त आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखें, ताकि प्रिलिम्स में तथ्यों की सटीकता और मेन्स/निबंध में तर्क की गहराई बराबर बनी रहे; 2025 का परिदृश्य, जिसमें उच्च-विकास का आकलन, ब्रिक्स में बढ़ती भूमिका, हरित-ऊर्जा और सेमीकंडक्टर जैसे नए अवसर, और घरेलू सुधारों की सतत रफ्तार साथ-साथ दिखती है, यह संकेत देता है कि भारत की नीति-दिशा संतुलित और भविष्योन्मुखी है—और अभ्यर्थियों के लिए यही सबसे बड़ा पाठ है: तथ्यों के साथ विचारों का संतुलन, और वर्तमान घटनाओं को संविधान, अर्थशास्त्र, नैतिकता और शासन-सिद्धांतों से जोड़कर समझना, ताकि उत्तर संक्षिप्त, डेटा-संपन्न और विश्लेषणात्मक बन सके ।youtubedrishtiias+6

  1. https://www.youtube.com/watch?v=XkWXUbYc1EE

  2. https://www.drishtiias.com/hindi/current-affairs-news-analysis-editorials

  3. https://hindi.news18.com/news/business/economy-imf-raises-india-gdp-forecast-to-6-4-percent-in-2025-and-2026-reform-momentum-driving-stable-growth-ws-ekl-9456540.html

  4. https://www.abplive.com/news/india/pm-modi-in-brics-summit-2025-said-under-india-presidency-bloc-will-be-redefined-global-south-will-on-priority-2975439

  5. https://pendulumedu.com/hindi-current-affairs/hindi-daily-current-affairs-24-and-25-august-2025

  6. https://www.indiatv.in/paisa/business/un-reduced-india-s-growth-forecast-for-2025-said-despite-the-recession-the-economy-will-grow-fastest-2025-05-16-1135964

  7. https://ndtv.in/business-news/indias-gdp-to-grow-at-6-7-in-2025-6-4-in-2026-imf-projects-steady-economic-growth-forecast-8980754

  8. https://www.amarujala.com/business/business-diary/brics-india-became-the-fastest-growing-economy-from-a-weak-link-news-in-hindi-2025-07-07

  9. https://www.youtube.com/watch?v=ARrwL7EygHU

  10. https://www.jagranjosh.com/current-affairs/weekly-current-affairs-quiz-hindi-18-august-to-24-august-2025-1850000219-2

  11. https://www.visionias.in/resources/current_affairs.php?c=magazine

  12. https://testbook.com/question-answer/hn/india-as-the-current-brics-chair-convened-the-7th--61726d471545451fab7d7924

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